Monday, 20 April 2020

दिया है जीवन जिसनें,
उसे हीं है लेनें का अधिकार,
चित्त है रहता उनका सदा प्रसन्न,
जो सदा जाते हैं माता रानीं के दरबार,

है सदा रहता नहीं पतझड़,
है आता ज़रूर वसंत-बहार,
नहीं रहता दिलों में तक़रार,
जो करते हैं सदा देवी भवानीं का जय जयकार,

एक आंसू से है बनता जीवन,
हो चाहे वो ग़म या खुशी का,
है बसता सदा मन में उनके आशाओं का संसार,
जिनके दिल में है बसता माता का प्यार,

दिया है जीवन जिसनें,
उसे हीं है लेनें का अधिकार,
चित्त है रहता उनका सदा प्रसन्न,
जो सदा जाते हैं माता रानीं के दरबार 

कवि मनीष 
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