हमार देस बा,
बीरन के देस,
जईसे परबत बा सारा
कउन झुका सकअ हअ हमरा,
हम तअ हीं सूरज-सितारा,
अँखियन जे उठाई,
उ जान से जाई,
जुबां जो चलाई,
ओकर जुबां कट जाई,
हमार देस बा बीरन के देस,
जईसे परबत बा सारा,
कउन झुका सकअ हअ हमरा,
हम तअ हीं सूरज-सितारा,
आपन ताक़त से हम,
परवत हिला दीं,
गगन के हम झुका दीं,
हमरा आगे कउन टिकी,
हम तअ हीं भारत माई के दुलारा,
हमार देस बा वीरन के देस,
जईसे परबत बा सारा,
कउन झुका सकअ ल हमरा,
हम तअ हीं सूरज-सितारा
कवि मनीष
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