Wednesday, 8 July 2020

है परिंदों की दुनिया स्वछंद गगन,
बस यही है इनका चैन ओ अमन,
है अक्षम्य अपराध क़ैद करना इन्हें,
है पेड़ों की शाख इनका जीवन

कवि मनीष

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