एक बेग़ैरत मुल्क की बस है यही पहचान,
जलना है हरवक्त देख औरों की शान,
रूह रहती है इनकी गंदगी में सनीं हुई,
जानतें हैं सब, है नाम उसका पाकिस्तान
#कविमनीष
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प्रेम जब पहुँचे हिर्दय की गहराई तक, पराकाष्ठा पहुँचे उसकी नभ की ऊँचाई तक, प्रेम अगर रहे निर्मल गंगा माई के जैसे, वो प्रेम पहुँचे जटाधारी के ...
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