मिट्टी की सौंद्धि खुशबू है,
जहाँ से आती,
वो है धरती माँ कहलाती,
हर जीव को है देती आश्रय,
हर जीव है बनाता ऊपर इसके आलय,
जो सुख का संसार है सजाती,
वो है धरती माँ कहलाती,
पर इसका सदा आदर करना भी है,
हमारा कर्तव्य,
सदा इसको स्वच्छ जब हैं रखते हम,
तो ये हमें है दुलराती,
और जो हैं करते इसका अनादर,
उसको अपनें क्रोध की अग्नि में है,
सदा जलाती,
मिट्टी की सौंद्धि खुशबू है,
जहाँ से आती,
वो है धरती माँ कहलाती
कवि मनीष
****************************************
No comments:
Post a Comment