Tuesday, 7 January 2020

आग लगी है चारों ओर,
पर करता नहीं कोई गौर,
इन्सान बना है इन्सान का दुश्मन,
इन्सानियत न रहा किसी का सिरमौर,

आज बहती है गंगा सहम,सहमकर,
आज चलता है शैतान तनकर,
आज कहतें सब ईमानदार को चोर,

आज लगी है चारों ओर,
पर करता नहीं कोई गौर,
इन्सान बना है इन्सान का दुश्मन,
इन्सानियत न रहा किसी का सिरमौर 

कवि मनीष 
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