जीवन पथ पर बढ़ता चल,
ऐ इंसान तू सत्कर्म करता चल,
राह ए ज़िन्दगी में तो शूलों का चुभना है आम,
तू बहार की ओर बढ़ता चल,
जीवन पथ पर बढ़ता चल,
है तेरा जीवन वो नदि,
जो सूखेगी न कभी,
है तेरा जीवन वो कश्ती,
जो डूबेगी न कभी,
तू साहिल ए ज़िन्दगी की ओर बढ़ता चल,
जीवन पथ पर बढ़ता चल,
तू है वो चट्टान,
जो हिलेगा न कभी,
तू है वो तूफ़ान,
जो थमेगा न कभी,
तू क्षितिज की ओर बढ़ता चल,
जीवन पथ पर बढ़ता चल,
जीवन पथ पर बढ़ता चल,
ऐ इंसान तू सत्कर्म करता चल,
राह ए ज़िन्दगी में तो शूलों का चुभना है आम,
तू बहार की ओर बढ़ता चल,
जीवन पथ पर बढ़ता चल,
जीवन पथ पर बढ़ता चल,
जीवन पथ पर बढ़ता चल
कवि मनीष
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