Tuesday, 8 October 2019

माँ दुर्गा विदाई गीत

प्रेम और आशीष बरसा के,
चली माँ फिर रूला के,
फिर आऊँगी अगले बरस,
चली माँ ये वादा करके,

आँखों में है तेरे भी पानीं,
क्यों छुपानें की कर रही है, तू नादानीं,
मुझे छोड़के जानें की,
क्यों कर रही है क़ुर्बानीं,

मैं तो हूँ इक बादल,
तू है बरखा सुहानीं,
छोड़के तेरा आँचल,
मैं कहाँ जाऊँगा दिवानीं,

प्रेम और आशीष बरसा के,
चली माँ फिर रूला के,
फिर आऊँगी अगले बरस,
चली माँ ये वादा करके 

जय माता की
कवि मनीष 

No comments:

Post a Comment

प्रेम जब पहुँचे हिर्दय की गहराई तक, पराकाष्ठा पहुँचे उसकी नभ की ऊँचाई तक, प्रेम अगर रहे निर्मल गंगा माई के जैसे, वो प्रेम पहुँचे जटाधारी के ...