चाँद को जब जलाता है सूरज,
वो देता है शीतलता,
सूरज में है आग पर उससे हीं,
जीवन है पलता,
बरसों लग जाती है,
जीवन को देनें में आकार,
इस क्रम में अक़्सर,
इन्सान है संघर्ष में झुलसता,
किसी और के जीवन को भी,
अपना जीवन समझो,
तभी आँसुओं से,
प्रेम है झलकता,
चाँद को जब जलाता है सूरज,
वो देता है शीतलता,
सूरज में है आग पर उससे हीं,
जीवन है पलता
कवि मनीष
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