Monday, 19 August 2019

राब्ता

है इन्सान तो रख इन्सानियत से राब्ता,
है आदमी तो रख आदमियत से राब्ता,
हर किसी के लिए मन को रख सदा साफ़,
है शरीर तो रख रूह से राब्ता 
कवि मनीष 

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