है जीवन उनका हीं सितारों के जैसा,
जो करते हैं वतन की हिफ़ाज़त चट्टानों के जैसा
कवि मनीष
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प्रेम जब पहुँचे हिर्दय की गहराई तक, पराकाष्ठा पहुँचे उसकी नभ की ऊँचाई तक, प्रेम अगर रहे निर्मल गंगा माई के जैसे, वो प्रेम पहुँचे जटाधारी के ...
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